साहित्यकार कल्याण कोष योजना
साहित्यकार कल्याण कोष योजना के अन्तर्गत ऐसे साहित्यकारों को अनावर्तक आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है जो दीर्घकालीन साहित्य सेवा में संलग्न होते हुए भी विषम रूप से आर्थिक संकट ग्रस्त है तथा जिन्हें स्वयं के अथवा परिवार के उपचार हेतु आर्थिक सहायता की आवश्यकता होती है। साहित्यकार कल्याण कोष नियमावली के अनुसार लेखक को अधिकतम रु0 50,000.00 आर्थिक सहायता प्रदान की जा सकती है।
प्रकाशन अनुदान योजना
यह अनुभव किया गया है कि अपवादों को छोड़कर प्रायः अधिकांश प्रकाशक लेखकों के साथ न्याय नही करते हैं। इसलिए लेखकों के कल्याण के परिप्रेक्ष्य में प्रकाशन अनुदान योजना बनायी गयी है। इस योजना के अन्तर्गत लेखक स्वयं व्यक्तिगत आय स्रोतों से अपनी कृति के प्रकाशन के लिए एक चैथाई धनराशि लगायेंगे तथा तीन चैथाई धनराशि संस्थान द्वारा प्रकाशन अनुदान के रूप में प्रदान की जायगी, यदि पाण्डुलिपि समिति/ विशेषज्ञ द्वारा वह स्तरीय और श्रेष्ठ पायी जाती है। प्रकाशक अनुदान नियमावली के अनुसार लेखक को अधिकतम रु0 30,000.00 की आर्थिक सहायता पुस्तक प्रकाशन हेतु एक बार प्रदान की जा सकती है।
स्मृति संरक्षण योजना
इस योजना के अन्तर्गत हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित साहित्यकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर पुस्तकों का निर्माण एवं प्रकाशन किया जाता है, ऐसे दिवंगत साहित्यकारों के तैल चित्र का निर्माण करना, जिन्हें भारत-भारती सम्मान/पद्म सम्मान/ज्ञानपीठ सम्मान अथवा साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त हो। दिवंगत सहित्यकारों की स्मृति में समारोहों का आयोजन कराना मुख्य कार्य है।
साहित्यिक केन्द्रों की स्थापना
ख्याति प्राप्त दिवंगत हिन्दी साहित्यकारों की स्मृति को अक्षुण्य बनाये रखने तथा उनके साहित्य के प्रचार-प्रसार के निमित्त साहित्यकारों के नाम पर उनके जन्म स्थल अथवा कार्यस्थल पर साहित्यिक केन्द्रों की स्थापना कराना।
इस योजना का उद्देश्य किसी साहित्यकार विशेष पर एक केन्द्र की स्थापना करके उस साहित्यकार की रचनाओं तथा उनसे जुड़ी समस्त स्मृतियों को संरक्षित करना, होगा। यह केन्द्र विशेष साहित्यकार के साथ-साथ उस क्षेत्र के समस्त साहित्यकारों के भी साहित्यिक योगदानों को संरक्षित करेगा। इससे सामान्य पाठक तथा शोध छात्रों की पहुंच आसान हो सकेगी तथा हिन्दी का प्रोत्साहित किया जा सकेगा। साहित्यिक केन्द्रों की स्थापना विश्वविद्यालय/जिला प्रशासन के सहयोग से की जायेगी।
हिन्दीत्तर भाषा भाषी क्षेत्रों में भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन
इस योजना में गैर हिन्दी भाषी राज्यों विशेषतः दक्षिण भारत और पूर्वी भारत में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य किया जायेगा। इस योजना अन्तर्गत विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा सरकारी संस्थानों में मिलकर हिन्दी तथा गैर हिन्दी भाषा के बढ़ते अदान-प्रदान तथा प्रभाव पर संगोष्ठी/कार्यशाला आयोजित कराना। इस योजना का उद्देश्य गैर हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी को पहुंचाना तथा राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना होगा।