आचार्य रामचन्द्र शुक्ल पुस्तकालय
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन हिन्दी भवन
6, महात्मा गांधी मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ-226 001
पुस्तकालय में दुर्लभ ग्रन्थों का भण्डार है। शोधार्थियों, विद्यार्थियों व विभिन्न रुचियों वाले पाठकों के लिए उपयोगी पुस्तकों
का संग्रह व समाचार पत्र , पत्रिकाएँ, बाल साहित्य आदि उपलब्ध हैं। वर्तमान में पुस्तकालय में लगभग 50,000(पचास हजार) से अधिक पुस्तकों का समृद्धशाली संग्रह है।जिनमें ख्याति प्राप्त लेखकों, कवियों, साहित्यकारों आदि की महत्वपूर्ण-कविता,उपन्यास, नाटक, कहानी,जीवनी, रचनावलियाँ, ग्रंथावलियाँ, समग्र, नागरी प्रचारिणी सभा का हिन्दी शब्दसागर व हिन्दी साहित्य का वृहत इतिहास, हिन्दी विश्वकोश, शब्दकोश,विश्वसूक्ति कोश, सूक्तिसागर, विश्वमिथक सरत्सिागर, श्रीरामचरितमानस,महाभारत, वाल्मीकि रामायण, साथ ही हिन्दी साहित्य पर आलोचनात्मक,समीक्षात्मक आदि पुस्तकें उपलब्ध हैं। दैनिक समचारपत्र, साहित्यिक व प्रतियोगी पत्रिकाएं आदि हैं ।पुस्तकालय में पाठकों/ सदस्यों तथा हिन्दी साहित्य के शोधार्थियों द्वारा सदस्यता ग्रहण कर उपलब्ध पाठ्य सामग्री का निरन्तर उपयोग किया जा रहा है। पुस्तकालय का संचालन एवं पुस्तकालयी व्यवस्था को सुचारू रूप से क्रियान्वयन व पठन-पाठन का वातावरण बनाये रखना आदि प्रमुख कार्य है ।हिन्दी भाषा व साहित्य के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित यह पुस्तकालय एक संदर्भ पुस्तकालय के रूप में भी गरिमामयी ख्याति प्राप्त है।
पुस्तकालय में उपलब्ध सुविधाएँ
- विभिन्न विषयों पर पुस्तकें, संदर्भ ग्रंथ इनसाइक्लोपीडिया (विश्व कोश), शब्द कोश।
- हिन्दी साहित्यकारों, राजनीतिज्ञों, समाज सेवकों की जीवनी।
- हिन्दी के प्रसिद्ध कवियों, लेखकों, रचनाकारों की ग्रंथावली, रचनावली का महत्त्वपूर्ण संग्रह है।
- प्रमुख समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ।
सदस्यता सम्बन्धी नियम और विनियम
पुस्तकालय में सुलभ विभिन्न सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए सदस्य बनना आवश्यक है। सदस्यता शुल्क निम्नवत् है :-
पुस्तकालय व वाचनालय
वार्षिक शुल्क 50=00
प्रतिभूति राशि 500=00
सम्बन्धित सुविधाओं के उपयोग के लिए निर्धारित सदस्यता शुल्क तथा आवश्यक प्रतिभूति राशि जमा कर आवेदन पत्र भरने तथा परीक्षणोपरान्त आवेदन स्वीकार होने के पश्चात् सदस्य बनने पर निम्न सुविधाएँ उपलब्ध होंगी :-
- एक सप्ताह के लिए दो पुस्तकें निर्गत की जा सकती हैं।
- पुस्तकालय की संदर्भ सेवा तथा समाचार पत्र व पत्रिकाओं के नवीनतम अंकों के अवलोकन की सुविधा।
- पुस्तकालय सदस्यों के लिए भुगतान के आधार पर छाया प्रति की सुविधा रु0 1=00 प्रति पृष्ठ की दर से उपलब्ध होगी।
सामान्य नियम :-
- प्रत्येक सदस्य को एक परिचय पत्र दिया जायेगा जिसमें उसके द्वारा जमा किये गये सदस्यता शुल्क व सदस्यता अवधि का उल्लेख होगा।
- परिचयपत्र सदस्यता की तिथि से एक वर्ष के लिए वैध होगा।
- सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे पुस्तकालय में प्रवेश करते समय स्वागत कक्ष पर या अन्यत्र माँगे जाने पर परिचय पत्र प्रस्तुत करें। बिना परिचय पत्र के पुस्तकालय में प्रवेश रोका जा सकता है। केवल वाचनालय के प्रयोग हेतु सदस्य होना आवश्यक नहीं है।
- परिचय-पत्र खो जाने पर द्वितीय प्रति के लिए लिखित अनुरोध करना होगा। 60 10=00 का शुल्क लिया जायेगा। इसी प्रकार पाठक टिकट के लिए 50 500 प्रति टिकट शुल्क देना होगा।
- सदस्य बनने के लिए पुस्तकालय द्वारा उपलब्ध कराये गये निर्धारित प्रारूप के आवेदन पत्र को भरकर देना होगा। आवेदन पत्र तथा परिचय पत्र के लिए दो छाया चित्र भी उपलब्ध कराने होंगे।
- सदस्यों को एक बार में अधिकतम दो पुस्तकें सात दिन की अवधि के लिए दी जायेंगी।
- पुस्तकें विलम्ब से लौटाने पर प्रथम सप्ताह में एक रुपया प्रतिदिन, द्वितीय सप्ताह में 1=50 रुपया प्रतिदिन तथा उसके पश्चात् 2=00 रुपये प्रतिदिन विलम्ब शुल्क देना होगा।
- संदर्भ पुस्तकें, एक से अधिक खण्ड वाली पुस्तकें, ऐसी पुस्तकें जिनकी मात्र एक प्रति उपलब्ध होगी, समाचार पत्र-पत्रिकाएँ , विश्व कोश, शब्द कोश, दुर्लभ ग्रन्थ आदि निर्गत नहीं की जायेंगी, केवल पुस्तकालय में ही अध्ययन के लिए उपलब्ध होंगी।
- यदि सदस्य प्रतिभूति शुल्क से अधिक मूल्य की पुस्तक निर्गत कराता है तो उसे पुस्तक का अन्तर मूल्य जमा करना होगा। पुस्तक वापस करने पर अन्तर मूल्य लौटा दिया जायगा।
- प्रत्येक वर्ष सदस्यता का नवीनीकरण आवश्यक है। दो माह तक सदस्यता का नवीनीकरण न कराये जाने पर सदस्यता समाप्त हो जायेगी। सदस्यता समाप्त होने की तिथि से छ: माह तक प्रतिभूति राशि वापस वापस न लेने पर प्रतिभूति राशि भी जब्त हो जायेगी।
- समाचार-पत्रों की अभिलेख पत्रावलियों के लिए कूपन व्यवस्था होगी। कूपन धारक व्यक्ति ही इन अभिलेखों को देख सकेंगे।
- यदि कोई सदस्य पुस्तकालय को सहयोग नहीं देता है, पुस्तकें वापस करने में बार-बार विलम्ब करता है, उनको सही स्थिति में नहीं लौटता है अथवा दुर्व्यवहार करता है तो पुस्तकालयाध्यक्ष उसकी सदस्यता समाप्त कर सकता है।
- पता बदलने की स्थिति में पुस्तकालयाध्यक्ष को तत्काल सूचित किया जाय।
- सदस्य किसी भी समय लिखित अनुरोध पर पाठक टिकट व परिचय-पत्र लौटाकर अपनी सदस्यता समाप्त कर सकते हैं, लेकिन उन्हें केवल प्रतिभूति राशि ही वापस की जायेगी।
- सुरक्षा की दृष्टि से प्रत्येक व्यक्ति को अपना सामान स्वागत कक्ष में ही जमा करना होगा। केवल वापस करने वाली पुस्तकों को ही पुस्तकालय में ले जाने की अनुमति दी जायेगी।
- पुस्तकालय के उचित संचालन में सहयोग देना प्रत्येक सदस्य का कर्त्तव्य है। किसी विवाद की स्थिति में पुस्तकालयाध्यक्ष, प्रभारी पुस्तकालय तथा निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का निर्णय अन्तिम होगा।
- पुस्तकालय द्वारा सदस्य को जो पुस्तकें निर्गत की जायेंगी, उसमें यदि रेखांकन हुआ है या पन्ने फटे हैं तो क्षतिग्रस्त पुस्तक का वर्तमान बाजार मूल्य देना होगा यदि पाठक पुस्तक के स्थान पर दूसरी पुस्तक जमा करता है तो सूचीकरण आदि सम्बन्धी कार्यों हेतु रु0 25=00 का दण्ड देय होगा।
पुस्तकालय व वाचनालय का समय
प्रात: 10.00 बजे से सायं 5.00 बजे तक
(पुस्तकालय रविवार व अन्य सार्वजनिक अवकाशों में बन्द रहेगा।)
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल सार्वजनिक पुस्तकालय
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की स्थापना के समय से ही आचार्य रामचन्द्र शुक्ल पुस्तकालय हिन्दी सेवा के पथ पर अग्रसर है। पुस्तकालय का उद्देश्य हिन्दी साहित्य के उत्कृष्ट साहित्यिक ग्रन्थों का संग्रह व उनका लाभ हिन्दी सेवियों, शोधार्थियों तक पहुँचाना। पुस्तकालय में ऐसे हिन्दी साहित्य का संग्रह है जो अन्य पुस्तकालयों में उपलब्ध नहीं है। इसी क्रम में वर्ष 2005 में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल पुस्तकालय को सार्वजनिक रूप से पाठकों के लिए खोल दिया गया। आज हिन्दी साहित्य के शोधार्थियों द्वारा पुस्तकालय की सदस्यता ग्रहण कर पुस्तकालय का लाभ लिया जा रहा है।
पाठकों को पुस्तकालय की सदस्यता प्रदान करना, छायाप्रति सुविधा, विलम्ब शुल्क प्राप्त करना, पुस्तकों का आगम-निर्गम कार्य, सूची कार्ड देखने में सहायता करना, प्रतिभूति राशि व वार्षिक सदस्यता शुल्क प्राप्त कर लेखा प्रभाग में जमा करना। महत्वपूर्ण समाचार पत्रों, पत्रिकाओं को मंगाना, पुस्तक क्रय, पुस्तक वर्गीकरण, पुस्तकों की साफ-सफाई, पुस्तकालय में पाठकों के पढ़ने हेतु उचित वातावरण बनाये रखना प्रमुख कार्यो में है।